Kandahar Plane Hijack: कंधार हाइजैक की घटना से पूरा देश सदमे में था. सरकार पर दबाव बनाया a
गया और 3 आतंकी को रिहा किया गया खौफभरे 8 दिनों के बाद यात्री वापस आया
तारीख- 24 दिसम्बर 1999. जगह- तक बंधक रहे 155 यात्रियों की रिहाई हुई. 31 दिसम्बर, 1999 की रात को विशेष विमान के जरिए उन्हें देश वापस लाया गया. इसमें ज्यादातर भारतीय और कुछ विदेशी नागरिक भी थे. खौफ से भरे ये 8 दिन इतिहास में दर्ज हुए और अब वेब सीरीज के जरिए उसे सामने लाया गया है. का त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट. विमान संख्या- IC-814 और काठमांडु से दिल्ली जाने के लिए पूरी तरह तैयार था सबकुछ सामान्य था. विमान नेपाल से उड़ान भरता है और जैसे ही नेपाल की सीमा से भारतीय सीमा में प्रवेश करता है हाइजैकर्स बंदूक लेकर सामने आ जाते है और विमान पर कब्जा कर लेते है
फ्लाइट इंजीनियर अनिल की पुस्तक आईसी 814 हाईजैक्ड: द इनसाइड स्टोरी के अनुसार, शाम के 4.39 बजे थे. विमान भारतीय क्षेत्र में पहुंच गया था. तभी अचानक एक शख्स कॉकपिट में घुसता है और पायलट उसकी तरफ देखता है. उसे देखते हैं. हाइजैकर ने मंकी कैप पहन रखी है. चेहरा पहचान पाना नामुमकिन है. उसके एक हाथ में रिवॉल्वर और दूसरे हाथ में ग्रेनेड है.
हाइजैकर्स चेतावनी देते है, कोई होशियारी नहीं दिखाएगा. कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा. विमान हमारे कब्जे में है. किसी ने होशियारी दिखाने की कोशिश को अच्छा नहीं होगा. शाम 4.53 तक विमान हाइजैक हो चुका था. यात्रियों के साथ मारपीट होती है. माहौल में हर तरफ तनाव ही तनाव है. कहानी में बड़ा ट्विस्ट आता है जब पता चलता है कि विमान में इतन ईधन नहीं है कि हाइजैकर्स अपने मंसूबों को अंजाम दे सकें.
हाइजैकर्स विमान को दिल्ली से पाकिस्तान की तरफ मोड़ने को कहते हैं. विमान को कुछ देर पहले अमृतसर और फिर लाहौर रवाना किया जाता है. बिना पाकिस्तान सरकार की मंजूरी के फ्लाइट रात 8 बजकर 7 मिनट पर लाहौर में उतरती है और फिर दुबई के लिए उड़ान भरती है. दुबई में ईधन भरा जाता है और 28 यात्रियों को उतारा जाता है. इसमें ज महिलाएं और बच्चे थे. और एक वो घायल यात्री भी मौजूद थे रिहाई के बाद उसकी मौत हो गई.यहां से विमान अफगानिस्तान कि ओर की चल दिया तथा अफगानिस्तान पहुच गया जो कि इसकी मंजिल थी
शुरू होती हैं हाइजैकर्स की मांगें
विमान के हाइजैक होने के कुछ घंटों के बाद ही शुरू होता है हाइजैकर्स की मांगों का सिलसिला. पहली बड़ी मांग थी, भारतीय जेलों में सभी आतंकियों को रिहा किया जाए. दूसरी मांग, 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की फिरौती. घंटों नहीं, कई दिनों तक हाइजैकर्स और भारतीय सरकार से बातचीत चलती है. 31 दिसम्बर तक विमान वहीं यानी अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर रहता है. केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री जसवंत सिंह तीन आतंकियों को लेकर कंधार पहुंचते हैं. ये तीन आतंकी थे मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर.
बंधक 155 यात्रियों की रिहाई हुई. 31 दिसम्बर, 1999 की रात को विशेष विमान के जरिए उन्हें देश वापस लाया गया. इसमें ज्यादातर भारतीय और कुछ विदेशी नागरिक भी थे. खौफ से भरे ये 8 दिन इतिहास में दर्ज हुए और अब वेब सीरीज के जरिए उसे सामने लाया गया है.
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